ना समझो कि हम आपको भुला भी सकेंगे।
कब्र होगी मेरी पर वहां आप ही मिलेंगे
देख ना ले आपको कोई हमारी आँखों मे दूर से।
इसी लिए वहां भी हम पलकें झुका के रखेंगे।

बनके अजनबी मिले है ज़िंदगी के सफर में
इन यादों को हम मिटायेंगे नहीं
अगर याद करना फितरत है आपकी
तो वादा है हम भी आपको भुलायेंगे नहीं ।।

सोचा ही नहीं था जिंदगी में ऐसे भी फ़साने होंगे
रोना भी जरूरी होगा और आंसू भी छिपाने होंगे

पाने से खोने का मज़ा कुछ और है
बंद आँखों से सोने का मज़ा कुछ और है
आँसू बने लफ़ज़ और लफ़ज़ बनी जुबा
इस ग़ज़ल में किसी के होने का मज़ा कुछ और है

सांसो का पिंजड़ा किसी दिन टूट जायेगा |
ये मुसाफ़िर किसी राह में छूट जायेगा ||
अभी जिन्दा हूँ तो बात कर लिया करो ।
क्या पता कब हमसे ख़ुदा रूठ जायेगा ||

एक दिन मेरी आँखों ने भी थक कर मुझसे कह दिया
ख़्वाब वो देखा करो जो पूरे हों, रोज़ रोज़ हमसे भी रोया नहीं जाता
